आज की इस लेख में हम सच्चा प्यार क्या है, सच्चा प्यार कैसे होता है, सच्चा प्यार कब होता है और सच्चे प्यार की निशानियों के बारे में बात करते हैं और समझेंगे कि प्यार वाकई में क्या चीज है।
आजकल इस दुनिया में प्यार के बहुत सारे मायने आ गए हैं। कुछ लोग लड़का और लड़की के बीच होने वाले आकर्षण को प्यार कहते हैं और कुछ लोग मां और बेटे के बीच के संबंध को सच्चा प्यार का नाम दे देते हैं। लेकिन अभी तक बहुत सारे लोग प्यार का सही मतलब नहीं समझ पाए हैं।
भारत के बहुत सारे श्रेष्ठ ग्रंथों में भी प्यार का उल्लेख है, जिसे हिंदी में प्रेम भी कहा जाता है। जहां पर देवी-देवताओं के बीच प्यार होता है। वही मनुष्य और जानवरों के बीच भी प्यार का उल्लेख ग्रंथों में मौजूद है। इसके अलावा आज के बॉलीवुड मूवीस में भी प्यार शब्द का इस्तेमाल बहुत किया जाता है।
जैसे कि “मैंने प्यार किया”, “कहो ना प्यार है”, “हर दिल जो प्यार करेगा”, जैसे बॉलीवुड के बहुत सारे फिल्मों के नाम प्यार से जुड़े हुए हैं या फिर यह हम यह कह सकते हैं कि बॉलीवुड में सभी फिल्मों में प्यार का ही उल्लेख किया जाता है।
लेकिन जैसा कि हमने आपको ऊपर बताया इस लेख में हम सिर्फ और सिर्फ प्यार क्या है? सच्चा प्यार क्या होता है? और प्यार होने के बाद मनुष्य के जीवन में कैसा परिवर्तन आता है, इसके बारे में जानेंगे।
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प्यार क्या है?
हमारे मन में किसी जी व्यक्ति के प्रति होने वाले आनंदमई एहसास को आमतौर पर प्यार कहते हैं। लोगों का कहना है कि प्यार किया नहीं जाता लेकिन हो जाता है। इस वजह से आपको भी कभी भी कहीं भी किसी से भी प्यार हो सकता है। वह चाहे इंसान से हो या फिर जानवर से, प्यार को हिंदी में प्रेम कहते हैं और इंग्लिश में Love के शब्द से लोग जानते हैं।
अगर आपको अभी भी प्यार क्या है, यह समझ नहीं पाए हैं तो मैं आपको भारत के रामायण के कुछ उदाहरण दूंगा जहां पर प्यार का उल्लेख है। आज भगवान श्रीराम को उनके प्रेम स्वभाव की वजह से लोग जानते हैं। भगवान श्रीराम को हर एक जीव से प्रेम था। भगवान श्रीराम को और उनके पत्नी सीता के बीच सच्चा प्यार था।
इसका आप ऐसा अंदाजा लगा सकते हैं कि जब रावण ने सीता का हरण किया था, तब श्री राम किसी दूसरी स्त्री से प्यार करके शादी कर सकते थे, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। क्योंकि श्री राम को माता सीता के प्रति बहुत प्रेम भावना मौजूद थी। उस समय ना तो GPS था ना तो इंटरनेट कनेक्शन। लेकिन फिर भी अपने लगन से और बहुत परिश्रम से भगवान श्री राम ने माता सीता को ढूंढ निकाला और रावण के चंगुल से छुड़ा कर वापस घर ले आये। यही सच्ची प्रेम कथा का सबसे बड़ा उदाहरण है।
इसके अलावा माता सीता को भी भगवान श्री राम के ऊपर बहुत प्रेम था। इसके अलावा भारत में श्री कृष्णा और राधा को प्रेम के देवी और देवता के रूप में पूजा जाता है। क्योंकि इन दोनों के बीच अपार प्रेम की भावना थी। प्रेम का मतलब हमेशा अपने प्रेमी के साथ रहना नहीं है। लेकिन कठिन समय में अपने प्रेमी को कठिन परिस्थिति से बाहर निकालना है।
क्या आपको पता है, जब श्रीकृष्ण 16 आयु के हुए तब वे अपना गांव और गांव के सभी लोगों को छोड़कर चले गए। उसके बाद श्री कृष्ण, राधा से कभी भी नहीं मिले। इससे हमको यह सबक मिलती है कि किसी भी व्यक्ति को प्रेम करने के लिए उसका साथ रहना जरूरी नहीं है। हम दूर रहकर भी उससे बहुत ज्यादा प्रेम कर सकते हैं। भारत में ऐसे अनेक लोकप्रिय प्रेम कथा है, जिन्हें पढ़कर आपको सच में सच्चे प्रेम की मतलब को समझने में आसानी होगी।
प्यार के बारे में महान लोगों की राय
हर एक मनुष्य को किसी ना किसी चीज पर या किसी व्यक्ति पर प्यार होता है। लेकिन क्या आपको पता है, बहुत सारे लोग आकर्षण को ही प्यार समझ लेते हैं।
और कुछ लोग ऐसे होते हैं, जिनको प्यार हो जाता है। लेकिन वह इस बात से जागरूक नहीं होते हैं। तो नीचे हमने कुछ महान लोगों के प्यार के बारे में विचारों की लिस्ट बनाई हैं।
आप जिस काम को करना पसंद करते हैं और जिस काम से आपको प्यार है, उस काम को करना शुरू करें। आप उस काम में सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी बन जाएंगे: सद्गुरु
कभी भी प्यार के भिखारी मत बने, प्यार के दाता बने। क्योंकि सुंदर व्यक्ति हमेशा अच्छे नहीं होते हैं, लेकिन अच्छे व्यक्ति हमेशा सुंदर होते हैं: गौतम बुद्ध
हमेशा उस व्यक्ति के साथ समय गुजरे जो आप से बिना शर्त प्यार करता है। लेकिन उस व्यक्ति के साथ मत रहे जो सिर्फ जरूरत पड़ने पर आपको प्यार करता है: गौतम बुद्ध
प्रेम को समझने के लिए आपको अपने कुछ अंश को मिटाना होगा। वरना आप के प्रेम में दूसरों के लिए जगह नहीं होगी: सद्गुरु
शक्ति जीवन है, निर्बलता मृत्यु हैं। विस्तार जीवन है, संकुचन मृत्यु हैं। प्रेम जीवन है, द्वेष मृत्यु हैं: स्वामी विवेकानंद
प्रेम, खुशी और शांति – यह आध्यात्मिक जीवन का लक्ष्य नहीं है। लेकिन समझदारी पूर्वक जीवन जीने का पहली शुरुआत है: सद्गुरु
पसंद और नापसंद से ऊपर उठना ही प्रेम का मूल रूप अर्थ है: सद्गुरु
सद्गुरु जी कहते हैं कि प्यार एक ऐसी चीज नहीं है कि हम किसी दूसरे व्यक्ति से करें, प्यार एक ऐसी भावना है जो हमारे अंदर पैदा होती है। आगे जाकर सद्गुरु जी कहते हैं कि प्यार इंसान का प्राकृतिक गुण है।
सच्चा प्यार कैसे होता है?
- किसी भी व्यक्ति को कभी भी, किसी भी व्यक्ति से प्रेम हो सकता है। लेकिन ऐसा जरूरी नहीं है कि उस दूसरे व्यक्ति को भी आप से प्रेम करना होगा।
- आप एक तरफा भी किसी भी व्यक्ति या फिर जानवर को निस्वार्थ रूप से प्यार कर सकते हैं। जैसा कि हमने आपको ऊपर भी बताया लोगों का कहना है कि प्यार को किया नहीं जा सकता लेकिन यह हो जाता है।
- लेकिन अब यह सवाल उठता है कि सच्चा प्यार कैसे होता है। प्यार आपके साथ कहीं पर भी हो सकता है जैसे कि अगर आप स्कूल जा रहे हैं तब रास्ते में किसी के साथ हो सकता है।
- या फिर अगर आप मूवी देख रहे हैं तो मूवी देखते वक्त किसी व्यक्ति के साथ या फिर जानवरों के साथ आपको बहुत प्यार का अनुभव हो सकता है।
- प्यार होने पर हमारा मन बहुत ज्यादा खुशी महसूस करने लगता है। दूसरे व्यक्ति के प्रति हमारे मन में प्रेम भावना और दया भाव बढ़ने लगता है।
- इसके अलावा भी बहुत सारे चीज हमारे मन में और शरीर में होने लगते हैं। लोग प्यार में पड़ जाते हैं, क्योंकि वे एक-दूसरे के साथ रहकर जीवन जीना बहुत पसंद करते हैं। सच्चा प्यार प्रतिबद्धता के बारे में है और रोमांटिक तत्वों के नीचे एक सार्थक दोस्ती पैदा करना है।
- कुछ लोग प्यार में पड़ जाते हैं, क्योंकि उनका साथी वह होता है जिसके साथ वे हंस सकते हैं और साथ रो सकते हैं। लेकिन अब सवाल उठता है कि सच्चे प्यार और झुटे प्यार में फर्क क्या होता है।
- अगर हम किसी भी चीज पर जरा सा भी ध्यान दें तो हमें उस चीज के बारे में बहुत कुछ जानकारी प्राप्त हो सकती है। इस वजह से सच्चे प्यार को परखना और झूठे प्यार को परखना हमारे हाथ में है।
- आजकल की युवा लोग आकर्षण की वजह से एक दूसरे के करीब आ जाते हैं और उसे वे लोग प्यार का नाम देखकर अपने रिश्ते को आगे बढ़ाते हैं।
- जैसे आप लोगों ने देखा होगा कि आजकल के स्कूल के बच्चे और कॉलेज के बच्चे, लड़का और लड़की एक दूसरे से बात करते हैं और दोस्ती से यह रिश्ता बहुत आगे बढ़ जाता है और वे दोनों शारीरिक संबंध भी बना लेते हैं।
- लेकिन कई बार ऐसा हो जाता है कि शारीरिक संबंध बनाने के बाद यह रिश्ता एकदम से खत्म हो जाता है। क्योंकि वे दोनों जान जाते हैं कि उनके बीच का रिश्ता प्यार नहीं है, लेकिन एक खराब आकर्षण था।
- आप झूठे प्यार को ऐसे जान सकते हैं कि क्या आपका साथी या फिर आप अपने प्रेमी के बारे में क्या सोचते हैं, अगर आपका प्रेमी संकट में पड़ जाता है, तो हमारे मन में क्या हलचल होती है।
- आपको बता दें कि सच्चा प्रेमी या फिर सच्चा प्यार करने वाला अपने साथी को खुश रखने के लिए कुछ भी कर सकता है। इस वजह से ही प्यार को श्रेष्ठ माना जाता है।
- अगर प्यार के लिए अपने साथी को भी दूर करना पड़े तो सच्चे प्रेमी यह कर लेते हैं। लेकिन झूठे प्रेमी पैसों के लिए या फिर शारीरिक संबंध के लिए किसी से प्यार करने का ढोंग करता है।
सच्चे प्यार की 10 निशानियां
- आपको सिगरेट, हस्तमैथुन शराब या फिर ड्रग जैसे खराब चीजों की आदतें हैं तो प्यार में पड़ जाने के बाद यह आदतें धीरे-धीरे कम होने लगती है।
- प्यार में पड़ जाने के बाद मनुष्य प्यार भरे गाने सुनना पसंद करता है।
- क्या आपने इस चीज पर ध्यान दिया है कि प्यार में जो व्यक्ति पड़ जाता है, वह किसी भी अन्य व्यक्ति को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहता।
- हमेशा उसी व्यक्ति के बारे में सोचता रहता है।
- अपने से ज्यादा उस व्यक्ति को ज्यादा अहमियत देने लगता है।
- जिम्मेदारी को लेने की क्षमता बढ़ जाती है।
- प्यार में मनुष्य कोई भी काम बड़े आसानी से कर लेता है।
- उसे अपने प्रेमी के प्रति बहुत फिक्र रहती है लेकिन वह कभी भी अपने प्रेमी को दबाव में नहीं रखता है।
- वह कभी भी अपने प्रेमी को परेशान नहीं करना चाहता। लेकिन छोटी-छोटी लड़ाईया अपने प्रेमी के संग होती रहती है।
- जो भी व्यक्ति प्रेम में पड़ जाता है, उसका शरीर से नहीं कर मन तक सभी मैं बहुत बड़ा बदलाव देखने को मिल जाता है।
दोस्तों जो जानकारी हमने इंटरनेट से उठाई है। इसके अलावा हमने अपनी जिंदगी में प्यार के बारे में जो कुछ भी जाना है, वह इस पोस्ट में हमने आपको बताने की कोशिश की है।
प्यार इस दुनिया में बहुत ही श्रेष्ठ भावना है, जिसे हम बयां नहीं कर सकते हैं। लेकिन फिर भी हमने आपके लिए सच्चे प्यार के और झूठे प्यार के कुछ निशानियां इस पोस्ट के जरिए बताने की कोशिश की है।
उम्मीद है कि आपको यह जानकारी पसंद आई होगी। इसके अलावा प्यार किया है, सच्चा प्यार कैसे होता है, इसके बारे में आपकी क्या राय है? यह आप नीचे कमेंट बॉक्स में जरूर बताइए।
इसके अलावा कमेंट बॉक्स में यह भी बताइए कि आपको पहली बार प्यार कब हुआ था? और प्यार में पड़ जाने के बाद आपके मान का और शरीर का हाल क्या था।
असल मे प्यार कैसे होता है?
सच्चा प्यार एक ऐसी चीज है, जिसे किसी भी तरह की जाती या फिर मजहब से मतलब नहीं है। केवल चुनिंदा लोगों को ही असली प्यार का अनुभव होता है, सच्चा प्यार वही है जिसमें त्याग की भावना हो, प्यार केवल जताया नहीं जाता, बल्कि निभाया जाता है।
यदि परिवार की किसी व्यक्ति के बीच प्यार का अनुभव करना है तो बिना कुछ सुने या फिर बिना कुछ कहे सामने वाले के दुख दर्द को समझना ही प्यार हो सकता है।
प्यार क्यों होता है?
जैसे कि किसी भी मनुष्य को जीने के लिए और ऊर्जा के लिए भोजन की जरूरत होती है, वैसे ही उस मनुष्य को अपने जीवन को सुंदर और प्रेम में भावनाओं से भरने के लिए प्यार की जरूरत होती है, बिना प्यार के मनुष्य केवल एक पत्थर की तरह हो सकता है।
प्यार सिर्फ स्वार्थ के लिए दो लोगों का मिलना नहीं है और सिर्फ दो जिस्मो का संभोग नहीं है, बल्कि इन सब से दूर बहुत बड़ी संभावना है, जिससे आपका पूरा जीवन बदल सकता है।
जिंदगी में लोगों को प्यार बांटना और लोगों का प्यार पाना यह हम भगवान का वरदान मान सकते हैं और इससे हमारा जीवन आसान हो जाता है।
जहां पर वासना है, वहां पर प्यार नहीं होता है। प्यार किसी से कुछ मांगता नहीं है, बल्कि प्यार सिर्फ देने का नाम है, प्यार तो हमेशा से ही समृद्ध रहा है।
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FAQs
ऐसा कहते हैं कि प्यार मनुष्य के मन से नहीं बल्कि दिल से होता है, प्यार एक ऐसी प्रेम भावना है जब एक बार मनुष्य को हो जाता है, तो वह उस व्यक्ति के प्रति खींचता चला जाता है, मजबूत आकर्षण और निजी जुड़ाव महसूस करने लगता है।
जब कोई किसी के प्यार में पड़ जाता है, तब वह हमेशा उसके ही ख्यालों में पड़ा रहता है और उसे अजीब सी खुशी महसूस होने लगती है। कई लोगों का कहना है कि प्यार की फीलिंग दिमाग में मौजूद केमिकल की वजह से होता है, जो धीरे-धीरे दिमाग में खुशी पैदा करता है।
जब किसी का पहला प्यार असफल रहता है या फिर टूट जाता है, तो वह हमेशा इसी सोच में पड़ा रहता है कि दूसरा प्यार होता है या नहीं। लेकिन पहले से ज्यादा लोगों का दूसरा प्यार बहुत ज्यादा सफल होता है। क्योंकि इस प्यार में समझदारी भी होती है, अनुभव भी होता है, जिससे आगे कोई समस्या नहीं होती है और बिल्कुल, लोगों को दूसरा नहीं बल्कि कई बार प्यार हो सकता है।
प्यार के कई रिश्ते होते हैं, जैसे कि मां-बाप से प्यार, अपने दोस्तों से प्यार, लोगों से प्यार या फिर प्रेमिका से प्यार। लेकिन जब प्रेमिका से प्यार की शुरुआत होती है, तब सबसे पहले एक पॉजिटिव तरंगे हमें महसूस होने लगती है और एक दूसरे के ऊपर हमारा विश्वास बढ़ने लगता है। जब एक बार एक दूसरे के ऊपर विश्वास हो जाता है, तब धीरे धीरे प्यार की शुरुआत होने लगती है।
जब कभी भी उस लड़के की प्रेमिका दुख ही नजर आएगी तब वह लड़का भी उसे खुश करने के लिए कुछ ना कुछ करने की कोशिश करेगा। आपके और उस लड़के के रिश्ते के बीच में चिड़चिड़ापन नहीं रहेगा और लड़का हमेशा आपका ख्याल रखने के बारे में सोचेगा।