Sadhguru Quotes in Hindi: सद्गुरु जी का असली नाम जग्गी वासुदेव है और सतगुरु जी का जन्म 5 सितंबर 1957 को कर्नाटक के मैसूर शहर में हुआ था। सद्गुरु जी का परिवार तेलुगु भाषी है। क्योंकि उनके पिता आंध्र प्रदेश से थे, बाद में वे कर्नाटक में जाकर बस गए। 24 वर्ष की उम्र में सद्गुरु जग्गी वासुदेव कर्नाटक के मैसूर में चामुंडी पहाड़ियों पर चढ़कर, एक चट्टान में बैठ गए, उस वक्त दोपहर का समय था। अचानक उनको शरीर से परे का अनुभव होने लगा और उन्हें आत्मा अनुभूति हुई। और तब से उनका नाम उनके भक्तों ने जग्गी वासुदेव से बदलकर सद्गुरु रख दिया गया।
पिछले कुछ सालों से सद्गुरु जग्गी वासुदेव केवल भारत में ही नहीं किंतु पूरे देश में लोकप्रिय बन चुके हैं। उनके बताए गए अनमोल विचारों से लाखों लोगों की जिंदगियां बदल चुकी है, जिनमें से मैं भी एक हूं। अगर आप भी जग्गी वासुदेव जी के भक्त हैं और सद्गुरु जी के अनमोल विचारों का भंडार प्राप्त करना चाहते हैं, तो आज के इस लेख में हम आपको सद्गुरु के अनमोल विचारों की लिस्ट लेकर आए हैं जिसे जानकर आप की जिंदगी जरूर बदलेगी।
सद्गुरु जग्गी वासुदेव के अनमोल विचार – Sadhguru Quotes in Hindi
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ज्यादातर लोग पंछी की तरह पिंजरे में रहते हैं। पिंजरे का दरवाजा तो खुला है। लेकिन वह पिंजरे में इतने व्यस्त हैं कि कोई और संभावना उन्हें दिखती ही नहीं।
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आप वास्तव में जागरूक हो सकते हैं और जीवन के हर हिस्से का आनंद ले सकते हैं यदि आप लगातार जानते हैं कि आप नश्वर हैं।
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आप जहां भी हैं, आप के जो भी सामने आते हैं, हर स्थिति से सर्वश्रेष्ठ बने रहे, जीवन के अनुभव को व्यर्थ न जाने दें।
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आप जहां भी हो, आपका जिस भी चीज से सामना हो, हर परिस्थिति में जो भी उत्तम है, उसे ले ले। तब जीवन सीखने का एक सिलसिला बन जाता है।
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आपकी खुशी, दुख, पीड़ा और आनंद आपके भीतर ही पैदा होता है। तो कम से कम ये सब चीजे आपके अनुसार पैदा होना चाहिए।
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“मैं तुम्हें बदलना चाहता हूं” – यह क्रांति नहीं है। “मैं बदलना चाहता हूं” – यह एक क्रांति है।
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यह देखिए कि जिंदगी में आगे कैसे बढ़ना है। हरदम गाड़ी के पिछड़े शीशे में देखने से आप टकरा जाएंगे।
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चैतन्य को छूने, अनुभव करने और जानने में जिस सबसे बड़ी बाधा का इंसान सामना करता है, वह है तर्क से ऊपर उठने की उनकी अनिच्छा।
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आप अपने भोजन के साथ कितने प्रेम, परवाह और कोमलता के साथ पेश आते हैं, यही तय करता है कि आपका शरीर कैसा होगा।
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दुनिया में जो हो रहा है, अगर वह आपके मन मुताबिक नहीं हो रहा है, तो आप के भीतर जो हो रहा है, कम से कम उसे तो आपके मन मुताबिक होना चाहिए।
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जो सही और गलत, पसंद और नापसंद में ही फस कर रह गया है, वह प्रेम की प्रकृति को कभी नहीं जान पाएगा।
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जीवन कोई विफलता नहीं जानता है, असफलता केवल उन लोगों के लिए निकलती है, जो हमेशा दूसरों के साथ खुद की तुलना करते हैं।
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अगर आपको दुनिया की चिंता है, तो सबसे पहले आप अपने आपको एक खुश इंसान में रूपांतरित करें।
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अगर आपके अंदर पूरी स्पष्टता है, तो साहस की जरूरत नहीं होती, क्योंकि स्पष्टता ही आपको पार ले जाएगी।
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जैसे फूल के लिए सुगंध होती है, वैसे ही इंसान के लिए प्रेम होता है।
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अतीत और भविष्य का अस्तित्व सिर्फ आपकी याददाश्त और कल्पना में है। जो अब इस पल में है, यही एकमात्र चीज है, जिसका आप अनुभव करते हैं।
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सांसारिक चीजों से निपटने के लिए आपका तार्किक दिमाग काफी है। पर अगर आप उस आया में प्रवेश करना चाहते हैं, जो आध्यात्मिक या मिस्टिकल है, तो यह किसी काम का नहीं है।
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आपका जीवन, आप का निर्माण है। भगवान इस के साथ हस्तक्षेप नहीं करता है।
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कुंठा, निराशा और अवसाद का मतलब है कि आप अपने खिलाफ काम कर रहे हैं।
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जो कुछ भी आप करते हैं, आप आनंद लेते हैं। जो भी आप अनिच्छा से करते हैं, आप पीड़ित होते हैं।
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कोई आपको कुछ अप्रिय बोलता है, क्योंकि उनके अंदर कुछ अप्रिय हो रहा है। उनको आपके प्रेम व करुणा की जरूरत है, या फिर उनको आप से थोड़ी दूरी चाहिए। खुद को इस अप्रियता के चक्कर में मत फसने दीजिए।
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हम एक ऐसे युग की ओर बढ़ रहे हैं, जहां प्रभुत्व व सत्ता सच्चाई नहीं हो सकती। आने वाले समय में, सिर्फ सत्य ही सत्ता होगा, क्योंकि सभी सत्ताओं की पवित्रता पर सवाल उठाए जाएंगे।
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जब लोग अकेले होते हैं, तब वे आध्यात्मिक बन जाते हैं। जब वे समूह में होते हैं, तब धार्मिक बन जाते हैं।
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आत्मज्ञान का मतलब यह एहसास होना है कि आप अब तक कितने बड़े मूर्ख थे। हर चीज यही ठीक आपके भीतर थी और आपको इसकी खबर तक नहीं थी।
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शक करना बुद्धिमानी नहीं है। असल में, बुद्धि का स्तर जितना कम होता है, लोग उतना ही ज्यादा शक्की होते हैं।
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शंका होना अच्छा है, इसका मतलब है कि आप सच्चाई की खोज रहे हैं। शक करना बीमारी है।
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विवाह अच्छी तालमेल, साथ रहने, या खुशी निचोड़ने के बारे में नहीं है। यह इस कदर जुड़ने का एक अवसर होता है, जो एक बड़ी संभावना का द्वार खोल देता है।
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आपका शरीर बस मिट्टी का एक ढेर है। इसे शालीनतापूर्वक लेकर चले और जब इसे वापस करने का समय आए, तो इसे शालीनतापूर्वक वापस कर दे।
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दुनिया में ज्यादातर लोग असल में व्यस्त नहीं है, वह बस चिंता में खोए रहते हैं और यही चीज थकाने वाली होती है।
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अगर आप अपने शरीर, मन और भावनाओं में सही किस्म का माहौल बनाना सीख जाते हैं, तो आपको अपनी सेहत, सुख और आनंद की चिंता नहीं करनी है।
इंटरनेट पर आपको श्री सदगुरु वासुदेव जग्गी जी के अनेक अद्भुत अनमोल और जीवन बदल देने वाले विचारों का भंडार अनेक भाषाओं में मिल जाएगा। लेकिन इस लेख में हमने ऐसे सतगुरु जी के विचारों को चुना है, जिन को समझने में आप लोगों को बहुत आसानी होगी। आने वाले समय में हम जग्गी वासुदेव जी के और भी बहुत सारे अनमोल विचारो के साथ इस लेख पर लौटेंगे, तब तक के लिए धन्यवाद।
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