आज का यह लेख विज्ञान के विषय से संबंधित है। क्योंकि हम आपको पारिस्थितिक तंत्र क्या है, इसकी परिभाषा एवं पारिस्थितिक तंत्र के प्रमुख घटकों का वर्णन भी करने वाले हैं।
पारिस्थितिक तंत्र जिसे अंग्रेजी में Ecosystem कहा जाता है, Ecosystem शब्द में Eco का अर्थ होता है घर और वही System शब्द का अर्थ होता है व्यवस्था। इस Ecosystem या फिर पारिस्थितिक तंत्र में सभी के लिए कार्य, भोजन और जीवन यापन करने का एक चक्र या फिर साइकिल होता है।
अजैविक और जैविक घटकों के परस्पर क्रिया से एक तंत्र का निर्माण होता है, उसे ही पारिस्थितिक तंत्र कहा जाता है। इस संसार में जंगल, तलाब या फिर गहरे समुद्र तक पारिस्थितिक तंत्र विभिन्न प्रकार से मौजूद होते हैं। संपूर्ण रूप से पारिस्थितिक तंत्र के बारे में जानने के लिए नीचे की जानकारी आपकी सहायता करेगी।
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पारिस्थितिक तंत्र क्या है – Ecosystem in Hindi
इस जीवन में जीव समुदाय अपने बनावट या फिर अपने काम के हिसाब से एक तंत्र के रूप में कार्य करते हैं, इसी को ही पारिस्थितिक तंत्र कहते हैं। आसान शब्द में पारिस्थितिक तंत्र वह सिस्टम है, जहां पर जी वह मंडल में होने वाली सभी प्रक्रियाएं शामिल होती है, जिसके अंदर मानव भी एक अहम घटक है। जोकि कभी परिवर्तक के रूप में या फिर कभी वादक के रूप में कार्य करता है।
यदि हम पारिस्थितिक तंत्र की परिभाषा सिर्फ और सिर्फ एक लाइन में आपको बताने की कोशिश करें, तो पारिस्थितिक तंत्र वह सिस्टम है, जिससे पर्यावरण के अजैविक और जैविक कारक अंतर संबंधित होते हैं।
पारिस्थितिक तंत्र की परिभाषा
पारिस्थितिक तंत्र जगत का एक ऐसा भाग होता है, जहां पर जीवित प्राणियों का एक समुदाय होता है और भौतिक पर्यावरण दोनों के बीच सामग्री का लेन देन करते हैं।
वातावरण में सभी और जैविक और अजैविक कारकों के संपूर्ण संतुलन के फल स्वरुप को ही या फिर इस पद्धति को ऐ जी टेंसले के अनुसार पारिस्थितिक तंत्र कहा जाता है। और किसी भी आकार की या फिर किसी भी क्षेत्रीय इकाई में बहुत अधिक जैविक क्रियाओं द्वारा निर्मित व्यवस्था को लैंडमन के मुताबिक पारिस्थितिक तंत्र कहते हैं।
पारिस्थितिक तंत्र के प्रमुख घटकों का वर्णन
पारिस्थितिक तंत्र में प्रमुख घटकों की संख्या दो होती है और वह इस प्रकार है,
1. जैविक घटक (Biotic Component)
2. अजैविक घटक (Abiotic Component)
जैविक घटक (Biotic Component):
आसान शब्दों में कहा जाए तो जैविक घटक के अंदर भी उत्पादक, उपभोक्ता और अपघटनकर्ता जैसे तीन अंग होते हैं।
- उत्पादक (Producer): पेड़ पौधे जैसे आदि को उत्पादक की श्रेणी में रखा जाता है, क्योंकि यह भोजन उत्पन्न करते हैं।
- उपभोक्ता (Consumer): उपभोक्ता उन जीवो को कहा जाता है, जो भोजन के लिए सिर्फ उत्पादक पर निर्भर रहते हैं।
- अपघटनकर्ता (Decomposer): जब कभी भी जीव इस धरती पर मर जाता है, तो उस जीव को गठन करने वाले सजीव को ही अपघटनकर्ता कहा जाता है।
उपभोक्ता के 3 भाग है:
- प्रथम श्रेणी के उपभोक्ता: गाय, बकरी, चूहा प्रथम श्रेणी के उपभोक्ताओं की लिस्ट में आते हैं, क्योंकि यह सभी जीव पेड़ पौधों को खाते हैं।
- द्वितीय श्रेणी के उपभोक्ता: बिल्ली, भेड़िया, गीदड़ आदि यह सभी आमतौर पर प्रथम श्रेणी के जीव को खाने वाले जीव है, जिस वजह से इनको द्वितीय श्रेणी के लिस्ट में रखा गया है।
- तृतीय श्रेणी के उपभोक्ता: बाघ, शेर इत्यादि यह सभी जानवर द्वितीय श्रेणी के जियो को खाते हैं, इस वजह से इन जीवो को तृतीय श्रेणी के उपभोक्ताओं की लिस्ट में रखा गया है।
अजैविक घटक (Abiotic Component):
- अजैविक घटक के बारे में यदि आपको बताने की कोशिश करें तो इस के अंतर्गत कार्बनिक और अकार्बनिक और भौतिक पदार्थ शामिल है।
- प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा और यूरिया इत्यादि जैसे मृत पौधों और जंतुओं के पदार्थ कार्बनिक पदार्थ के अंतर्गत आते हैं।
- प्रकाश, हवा जैसी चीजें भौतिक पदार्थ के अंतर्गत शामिल होती है।
- अकार्बनिक पदार्थ के अंदर विभिन्न प्रकार के लवण होते हैं, जैसे कि कैल्शियम, पोटेशियम, फॉस्फोरस, मैग्नीशियम, सल्फर और नाइट्रोजन इत्यादि। इसके अलावा कार्बन डाइऑक्साइड, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन, अमोनिया और नाइट्रोजन भी इसमें शामिल है।
आशा करता हूं कि आप को ठीक तरह से पारिस्थितिक तंत्र की परिभाषा और पारिस्थितिक तंत्र के घटकों का वर्णन मिल गया होगा।
Frequently Asked Questions
पर्यावरण के जैविक घटक में पादप, मनुष्य समेत जंतु तथा सूक्ष्मजीव सम्मिलित होते हैं।
जैविक कारक सभी जीवित प्राणियों को संदर्भित करते हैं और पारिस्थितिक तंत्र में अजैविक कारक सभी गैर-जीवित घटकों जैसे भौतिक स्थितियों और रासायनिक तत्व होते है।
वातावरण कुल 2 प्रकार के होते हैं, जैविक वातावरण और अजैविक वातावरण।
जीव-जंतु, पेड़-पौधे, मनुष्य, छोटे-छोटे बैक्टीरिया आदि जैविक पर्यावरण में और अजैविक पर्यावरण में सारे रसायनिक पदार्थ और मृत पदार्थ जैसे कि नाइट्रोजन और कार्बन हाइड्रोजन इत्यादि।
जैविक कारक तीन प्रकार के होते हैं और वह इस प्रकार है, पौधों का प्रभाव, जन्तुओं का प्रभाव, मनुष्य का प्रभाव।
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धन्यवाद…