वर्ल्ड बैंक के रिपोर्ट के अनुसार भारत अगले कुछ वर्षों में दुनिया का सबसे बड़ा विकसित देश बन जाएगा। लेकिन अब 2022 में भारत के एक विकासशील देश है, मतलब विकास की राह पर है। लेकिन अभी भी विकसित नहीं हुआ है। आज का लेख भी इसी विषय पर है, जिसमें हम बेरोजगारी से क्या आशय है! इस प्रश्न का संपूर्ण तरीके से जवाब देने की कोशिश करेंगे।
भारत में तो पिछले बहुत सारी सालों से बेरोजगारी चलती आ रही है। युवाओं की संख्या बेरोजगारी की लिस्ट में हर साल बढ़ती ही जा रहे हैं। भारत में ऐसे लोग भी मौजूद हैं, जो बहुत सारी डिग्री हासिल करते हैं, जैसे कि इंजीनियरिंग, एमबीए, डिप्लोमा और बीकॉम, लेकिन फिर भी उनको बिना काम के घर बैठना पड़ रहा है। क्योंकि यदि वह काम के लिए तैयार भी है, तो उन्हें भारत में कोई काम नहीं दे रहा है, जिस वजह से बहुत सारे युवाओं को बेरोजगारी का सामना करना पड़ता है।
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बेरोजगारी से क्या आशय है?
यदि कोई व्यक्ति पढ़ा लिखा है या फिर कार्य करने की योग्य है और वह कार्य करने के लिए तत्पर भी है, लेकिन इसके बावजूद उसे करने के लिए कोई काम ना मिले उस व्यक्ति को बेरोजगार कहा जा सकता है।
बेरोजगारी की परिभाषा
एक व्यक्ति जो काम करने के लायक है, उसे काम करने की इच्छुकता और क्षमता भी है, लेकिन फिर भी उसे कोई भी काम ना मिले तो ऐसे आदमी को बेरोजगार कहते हैं।
मुझे नहीं लगता कि आपको बेरोजगारी की परिभाषा ज्यादा समझाने की जरूरत है। क्योंकि वैसे ही भारत के हर एक शहर या फिर गांव में ऐसे बेरोजगार रहते हैं, जिन्हें देखकर पता लग जाता है कि बेरोजगारी क्या है।
बेरोजगारी के प्रकार
वैसे तो बेरोजगारी कई प्रकार के होते हैं, जैसे कि छिपी हुई बेरोजगारी, मौसमी बेरोजगारी, शिक्षित बेरोजगारी, रचनात्मक बेरोजगारी और चक्रीय बेरोजगारी।
यदि हम इसे आसान भाषा में आपको समझा है, तो नगरीय क्षेत्रों में जैसे के शहरी इलाकों में और ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी में काफी अंतर होता है। जैसे कि ग्रामीण क्षेत्रों में मौसमी एवं प्रच्छन्न बेरोजगारी नजर आती है। जबकि शहरों में ज्यादातर शिक्षित बेरोजगार पाए जाते हैं।
1. मौसमी बेरोजगारी
मौसमी बेरोजगारी का मुख्य कारण मौसमी प्रकृति होती है। जैसे कि कुछ कारोबार या फिर नौकरी ऐसी होती है, जो कि वर्ष के 12 महीने नहीं होती है, कुछ महीने बेरोजगार रहना पड़ता है। इसमें व्यक्ति वर्ष की कुछ महीने काम करता है, तो वही कुछ मैंने काम के लिए उत्सुक होने पर भी काम नहीं कर सकता, क्योंकि यह काम मौसमी होता है।
2. शिक्षित बेरोजगारी
जैसा कि हमने आपको बताया कि शहरी इलाकों में ज्यादातर शिक्षित बेरोजगार पाए जाते हैं। जैसे कि कुछ लोग 10वीं, 12वीं या फिर डिग्री कंप्लीट करते हैं। फिर भी उनको घर बैठना पड़ता है। क्योंकि आमतौर पर भारत में लोगों की संख्या ज्यादा है, लेकिन नौकरी की संख्या बेहद कम है।
वैसे तो बेरोजगारी के और भी बहुत सारे प्रकार है। हमने यहां पर केवल दो प्रकारों के बारे में जानकारी प्रदान की है। खुशी की बात यह है कि आजकल युवा घर बैठे भी काम कर रहे हैं, जैसे कि एक नया ट्रेंड शुरू हुआ है वर्क फ्रॉम होम। जहां से लोग घर बैठे ऑनलाइन कोई भी काम ढूंढते हैं और मोबाइल या फिर लैपटॉप की मदद से इंटरनेट पर काम करते रहते हैं। ऐसे लोगों को बेरोजगार नहीं कहा जा सकता है, क्योंकि यह लोग अपनी रोजी रोटी के लिए पैसे कमाते हैं।
Frequently Asked Questions
बेरोजगारी का मतलब, जब कोई व्यक्ति किसी काम के लिए उत्सुक और सक्षम रहता है, फिर भी उसे काम ना मिले इस अवस्था को बेरोजगारी कहा जाता है।
भारत में बेरोजगारी का प्रमुख कारण जनसंख्या वृद्धि, सरकार की गलत नीतियां और गलत शिक्षण पद्धति है।
यदि किसी देश में भौतिक, वित्तीय और मानवीय संरचना कमजोर होता है और इससे रोजगार का अभाव होता है, तो इस स्थिति को संरचनात्मक बेरोजगारी कहते हैं।
सामान्य प्रमुख अवस्था बेरोजगारी (UPS), सामान्य प्रमुख तथा सहायक अवस्था बेरोजगारी (UPSS), वर्तमान साप्ताहिक अवस्था बेरोजगारी (CWS) और वर्तमान दैनिक अवस्था बेरोजगारी (CDS) से भारत में बेरोजगारी को मापा जाता है।
छिपी हुई बेरोजगारी कृषि क्षेत्र में सबसे अधिक है और ज्यादातर ग्रामीण लोगों में मौजूद है।
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धन्यवाद…